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किसान के बेटे – Old farmer story in hindi

एक बुजुर्ग किसान के तीन बेटे थे। खूब मेहनत करने पर भी उनकी ग़रीबी दूर नही होती थी। बड़ी मुश्किल से अपना पेट पालते थे। एक दिन बूढ़े किसान ने अपने बेटों को पास बुला कर कहा “सुना है पास के गाँव में ज़मींदार को एक नौकर की ज़रूरत है, तुम में से कोई एक जाकर ये नौकरी पाकर इस ग़रीबी से छुटकारा दिला सकते हो।” काफ़ी सोच विचार के बाद तय हुआ की बड़ा लड़का जाएगा।

थोड़े दिन बाद ही बड़ा लड़का उदास चेहरा लेकर लौट आया। ज़मींदार ने मज़दूरी तो दी नही बल्कि काम ना करने का दोष लगा कर उल्टा उसी को डांटा। ज़मींदार ने कहा कि तुम्हे तो काम करना ही नही आता। बड़े लड़के की बात सुन कर मझले लड़के ने बड़े साहस के साथ अपने आप को वहाँ जाने के लिए तैयार किया।

लेकिन कुच्छ दिनों के बाद ज़मींदार ने उसे भी डाँट कर वापस भेज दिया। ये सब देख कर छोटे लड़के को बहुत गुस्सा आया। वो अपने पिता से ज़मींदार के यहाँ जाने की ज़िद करने लगा। बूढ़ा किसान अपने छोटे बेटे से बहुत अधिक प्यार करता था। उसने सोचा की मेरा यह बेटा बहुत छोटा है कहीं यह ज़मींदार के यहाँ काम ना कर पाए। लेकिन छोटे बेटे की ज़िद के आगे बूढ़े किसान को झुकना पड़ा और छोटा लड़का ज़मींदार के यहाँ काम करने चला गया।

ज़मींदार ने छोटे लड़के को उपर से नीचे तक देखा और बोला “अच्छा तो अब तू मेरे यहाँ काम करेगा, तेरे दोनो बड़े भाई तो किसी काम के थे नही तो तू क्या कर लेगा”। लड़के ने कहा “मुझे एक मौका दीजिए, मैं कड़ी मेहनत करके दिखाऊंगा”। ज़मींदार ने कहा “यदि तुम मेरा बताया काम नही कर पाओगे तो मैं तुम्हे कोई मज़दूरी नही दूँगा”। उस लड़के ने कहा की मुझे यह शर्त मंजूर है।

छोटा लड़का बहुत चुस्‍त था और वो मेहनत से खूब काम करने लगा। एक दिन ज़मींदार ने उससे कहा “देखो घर के पीछे पहाड़ पर बाँस के पेड़ हैं, तुम बैल को चराने के लिए वहाँ ले जाओ लेकिन एक बात का ध्यान रखना की बैल को बाँस की पत्तियाँ तुम तोड़ कर मत खिलाना बल्कि बैल को पेड़ पर चढ़ा कर खिलाना”। ज़मींदार यह सोच सोचकर खुश हो रहा था की इससे यह काम तो होगा नही और मैं इसे अब तक की मज़दूरी भी नही दूँगा।

छोटे लड़के ने बाँस की झाड़ियों से बैल को मजबूती से बाँध दिया, वो बैल के बार बार चाबुक मारता और कहता ओये बैल पेड़ के ऊपर चढ़। बेचारा बैल मार खा कर चीखे मार रहा था। जब ज़मींदार को यह बात पता लगी तो वो दौड़ा आया और लड़के से बोला “अरे मूर्ख क्या तू बैल को मार ही डालेगा?” लड़का बोला “देखिए यह बैल कितना ना समझ है पेड़ पर चढ़ता ही नही, इसको तो पेड़ पर चढ़ कर पत्ते खाने हैं”। ज़मींदार ने सोचा की यह तो इस बैल को मार डालेगा, तुरंत अपना आदेश वापस ले लिया और मन मसोस कर रह गया। लड़का मन ही मन बोला की ज़मींदार तू चालाक राक्षस की तरह है लेकिन मैं तुझे एसा सबक सिखाऊंगा की तू हमेशा याद रखेगा।

अब ज़मींदार ने दूसरी चाल चली। उसने लड़के से कहा की तुम मेरे मकान की छत पर साग सब्जियाँ उगाओ, छत पर ताजी हवा और धूप ज़्यादा है इसलिए तुम गोभी के पोधे लगाने की तैयारी करो। ज़मींदार ने सोचा की लड़का छत पर गोभियाँ कैसे उगाएगा। दूसरे दिन लड़का कुदाल लेकर छत पर चढ़ गया और वहाँ खुदाई करने लगा। इससे ज़मींदार की खपरैल की छत टूट कर नीचे गिरने लगी। ज़मींदार ने चिल्ला कर कहा “अरे दुष्ट तुझे छत तोड़ने के लिए थोड़े ही कहा था”। लड़के ने बड़े आराम से कहा “मालिक गोभी लगाने के लिए खुदाई तो करनी ही पड़ेगी और खुदाई से छत भी टूटेगी”। ज़मींदार ने गुस्से में अपने होठ ही काट लिए, उसकी यह चाल भी बेकार गई। उसने अपना यह आदेश भी वापस लेलिया। ज़मींदार उस लड़के की मज़दूरी हड़पने की नई तरकीब सोचने लगा।

एक दिन ज़मींदार ने उस लड़के से कहा “देखो सूखा पडने वाला है, तेज धूप से धान के खेत सूखने लगे हैं इसलिए तुम कल खेत मेरे घर पर ले आओ ताकि छाया में खेत सूखने से बच जाएँ”। लड़के ने कहा “जो आग्या मालिक”। अगले दिन सुबह उठते ही उस लड़के ने सबसे पहले दरवाजे के पल्ले तोड़े, चोखट्ट उखाड़ी और फिर दीवारों को तोड़ने लगा। इस शोर से ज़मींदार की नींद खुल गई। उसने देखा दरवाजे के पल्ले और चोखट्ट फर्श पर पड़े हैं, दीवार मे बड़ा सा छेद बन गया है और लड़का दीवार को तोड़ने में लगा है। ज़मींदार का पारा चढ़ गया, वो बोला “हाय तूने यह किया कर दिया, तू तो बिल्कुल ही नाअलेयक है, ये दीवार और दरवाजे तोड़ने को तुझे किसने कहा नालायक”। लड़का उसकी बात को अनसुना करके अपने काम में लगा रहा। ये देखकर ज़मींदार आपे से बाहर हो गया। चिल्लाते हुए बोला “अपना हाथ रोक मूर्ख तू क्या कर रहा है”। लड़का नही रुका, उसने ज़मींदार से कहा “आप इतना चिल्ला क्यों रहे हैं, आप ने ही तो कहा था की खेत घर के अंदर ले आओ, अब इतना बड़ा खेत छोटे से दरवाजे से अंदर कैसे आता इसीलिए मैं दरवाजे तोड़ रहा हूँ”। ज़मींदार ने लड़के के आगे हाथ जोड़ कर कहा “अरे बस कर भाई, मेरा मकान मत तोड़ आगे से ऐसे काम तुझे नही बताऊँगा”। तीन बार हार खाने के बाद ज़मींदार को अकल आगई। उसने फिर किसी को धोखा नही दिया और उस लड़के की पूरी मज़दूरी उसे देदी।

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