एक राजा था। उसका मंत्री बहुत समझदार था। एक दिन राजा ने मंत्री को बुलाकर पूछा “भेड़ चाल का क्या मतलब है?” मंत्री थोड़ी देर तक सोच कर बोला “महाराज मुझे दो दिन का समय दे दीजिए, तभी में इस प्रश्न का उत्तर सही से दे सकूँगा”।
मंत्री अगले दिन उठा, नहा धोकर तिलक लगाया और गाँव के बाहर तालाब के किनारे चला गया। वहाँ पर कई खच्चर घांस चार रहे थे। मंत्री पहले उनमें से एक खच्चर के चारों तरफ तीन बार घूमा, फिर मंत्री ने उस खच्चर का एक बाल नोचकर निकाला और उसके कान पर रख दिया।
तालाब के किनारे कुछ और लोग भी थे जो यह सब देख रहे थे। एक आदमी ने पूछा “मंत्रीजी यह आप क्या कर रहे हैं?” मंत्री ने कहा “यह खच्चर भगवान शिव की तीर्थयात्रा करके आया है और यह पहले जन्म में ज़रूर कोई बहुत बड़ा ऋषि मुनि रहा होगा। देखते नही इसकी आँखों से कितनी भक्ति टपक रही है”।
मंत्री को देखकर सभी लोग एसा ही करने लगे, उस खच्चर के चारों ओर तीन चक्कर लगाते और उसका एक बाल नोचकर उसके कान पर रख देते। बहुत तेज़ी से यह खबर सारे गाँव में फैल गई। सब लोग वही करने लगे जो मंत्री ने किया था। थोड़े ही समय में उस खच्चर के सारे बाल नोच दिए गए। वो बेचारा लहू – लुहान हो गया और तड़पने लगा। कुछ समय के बाद राजा के पास भी यह खबर पहुँची। राजा वहाँ आया। उसने भी खच्चर के चारों ओर तीन चक्कर लगाए और उसका एक बाल नोच लिया। बेचारा खच्चर तो मर ही गया।
खच्चर का मालिक वहाँ पहुँचा और खच्चर को मरा देख कर रोने और हाय तोबा मचाने लगा। वो राजा के पास अपनी शिकायत लेकर पहुँचा। राजा से उसने कहा “महाराज मैं बाल बच्चों वाला आदमी हूँ, बहुत ग़रीब हूँ, मैं किसी तरह इस खच्चर की पीठ पर माल लाद कर उसके किराए के पैसों से अपना पेट पालता और घर का खर्चा चलाता था। खच्चर तो मार गया अब मेरे घर का खर्चा कैसे चलेगा?”
राजा ने मंत्री को बुलाकर सलाह माँगी। मंत्री बोला “महाराज यही तो भेड़ चाल थी। आपने अपनी आँखों से देख लिया, यह सब भेड़ चाल की वजह से हुआ।” अब राजा को भेड़ चाल का मतलब समझ आ गया। राजा ने उस खच्चर वाले को सोने की कुछ अशरफियाँ दीं और जाने को कहा। इस प्रकार राजा ने भेड़ चाल का पूरा मतलब समझ लिया।
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