एक जंगल में एक बकरी और बकरा बड़े प्यार से रहते थे, उसी जंगल में एक सियार भी रहता था। पिछली बार जब बकरी ने बच्चों को जन्म दिया था तो सियार बच्चों को उठा ले गया था और उन्हें खा गया था। इस कारण बकरी बहुत दुःखी रहती थी।
कुछ दिन बाद बकरी ने फिर से दो बच्चों को जन्म दिया। अब बकरी को यह चिंता सताने लगी कि सियार फिर से उसके बच्चों को उठा ले जाने के लिए आएगा इसलिए उसने बकरे से कहा “सुनो जी, जल्दी ही कोई ऐसा तरीका सोचो कि जिस से सियार मेरे बच्चों को ना ले जा सके। में तो कहीं घास चरने भी नहीं जाउंगी, यहीं बैठ कर अपने बच्चों की पहरेदारी करुँगी।” बकरे ने सोचा कि इस तरह डर कर तो काम चलेगा नही। बकरे को एक तरकीब सूझी। उसने बकरी से कहा कि ऐसा करते हैं की मैं सामने के पहाड़ पर जाकर वहाँ से निगरानी करता हूँ, जैसे ही सियार आता हुआ दिखाई देगा तो मैं जोर से तुम्हे बोलूंगा “अरे बकरी ये बच्चे क्यों रो रहे हैं” तब तुम इन बच्चों को चूंटी काट देना जिस से ये बच्चे जोर जोर से रोने लगेंगे। फिर तुम कहना “मैं क्या करूँ, ये बच्चे कह रहे हैं कि हमें तो सियार का ताजा कलेजा खाना है। घर में बासी कलेजा तो रखा है पर इस समय मैं ताजा कलेजा कहाँ से लाऊँ।” फिर बकरा बोला मैं कहूंगा “अरे चुप हो जाओ, शोर मत करो, सामने से एक सियार आ रहा है मैं अभी बच्चों के लिए उसका कलेजा निकाल लेता हूँ।” इस तरह से बकरे ने बकरी को समझाया और बकरा पहाड़ की चोटी पर चढ़ गया।
कुछ देर के बाद बकरे को दूसरी ओर से सियार आता हुआ दिखाई दिया। सियार को आता देख कर अपनी योजना के अनुसार बकरा जोर से बोला “अरे बकरी ये बच्चे क्यों रो रहे हैं” बकरी ने बच्चों को चूंटी काट कर वैसा ही कहा जैसा बकरे ने उसे समझाया था। बकरा चिल्ला कर बोला “अरे चुप कराओ इन बच्चों को मैं अभी सियार का ताजा कलेजा निकल कर लाता हूँ।” सियार ने बकरे को यह कहते सुना तो वो दम दबाकर वहाँ से भागा। जब सियार भागा जा रहा था तो रास्ते में एक लंगूर ने उस से पूछा “सियार भाई कहाँ भागे जा रहे हो?” सियार ने लंगूर को बताया कि एक बकरा पीछे की पहाड़ी पर उसका कलेजा निकालने के लिए खड़ा है। यह सुनते ही लंगूर हँसते हँसते लोटपोट हो गया। लंगूर बोला “अरे भाई तुम्हारा दिमाग तो खराब नही हो गया है, भला कहीं बकरा भी सियार को मार सकता है क्या?” सियार बोला “नहीं दोस्त, ये बात मैंने अपने कानों से खुद सुनी है। वो बकरा अपनी पत्नी से कह रहा था कि मैं अभी सियार का कलेजा निकाल कर लाता हूँ, उसके बच्चे सियार का ताजा कलेजा खाना चाहते हैं।” लंगूर ने कहा “अच्छा, चलो जरा मैं भी देखूं कैसा है वो बकरा। तुम ऐसा करो कि अपनी पूँछ और मेरी पूँछ को कस कर बाँध लो और मैं तुम्हारी पीठ पर बैठ जाता हूँ।” दोनों ने अपनी पूँछे आपस में बाँध लीं और सियार लंगूर को अपनी पीठ पर बैठाकर चल पड़ा। जब पहाड़ की चोटी से बकरे ने सियार और लंगूर को आते हुए देखा तो उसने फिर अपना दिमाग लगाया और जोर से कहने लगा “अरे बकरी इन बच्चों को चुप कराओ, देखो मेरा दोस्त लंगूर सियार को पूँछ से बाँध कर यहीं ला रहा है। अब तुम बिलकुल चिंता न करो। थोड़ी ही देर में मैं सियार का कलेजा निकाल कर ले आऊंगा।” सियार यह बात सुनकर हैरान रह गया। बकरे ने फिर कहा “अरे लंगूर तू तो बड़ा ही निकम्मा निकला, तू तो कह रहा था की मैं कई सियारों को लेकर आऊंगा, तू एक ही सियार को लेकर आ रहा है।” यह सब सुन कर सियार को लंगूर पर शक हो गया, अब तो उसने आँख बंद करके अपनी जान बचाने के लिए भागना शुरू कर दिया। सियार की पीठ से गिर कर लंगूर भी उसके पीछे पीछे घिसटता जा रहा था। भागते भागते सियार ने पहाड़ी से छलांग लगाई लेकिन लंगूर की पूँछ बंधी होने के कारण वो दोनों खाई में गिर पड़े और मर गए।
इस तरह अपनी सूझबूझ और समझदारी से बकरे ने अपने बच्चों की जान बचा ली।