विजयनगर के ईरान देश के साथ बहुत अच्छे व्यापारिक सम्बन्ध थे। एक बार ईरान से एक व्यापारी जिसका नाम सुल्तान अजीज़ था विजयनगर आया। सम्राट ने उसका बहुत अच्छा स्वागत किया, उसे राजमहल मे ठहराकर कई सेवकों को उसकी सेवा में लगा दिया। रात को खाने के बाद सम्राट ने चाँदी के बर्तन मे सुल्तान अजीज़ के लिए रसगुल्ले भेजे। विजयनगर के रसगुल्ले बहुत ख़ास होते थे।
सेवक रसगुल्ले जैसे लेकर गया था वैसे ही वापस लेकर आगया। सम्राट के पूछने पर सेवक ने बताया की सुल्तान अजीज़ ने रसगुल्लों को चखा तक नही, बस रसगुल्लों को देखकर उन्होने कहा की मुझे रसगुल्ले नही रसगुल्लों की जड़ चाहिए। ये बात सुनकर सम्राट बहुत गंभीर होगए। वो रातभर सोचते रहे की आख़िर सुल्तान अजीज़ की इस बात का मतलब क्या है परंतु किसी नतीजे पर नही पहुँचे।
अगले दिन दरबार में सम्राट अपने मंत्री से बोले कहीं से भी रसगुल्ले की जड़ लेकर आइए। मंत्री बेचारा इधर उधर देखने लगा। पुरोहित का भी यही हाल था। तभी तेनालीराम बोला – बड़े अफ़सोस की बात है। सबसे ज़्यादा रसगुल्ले तो पुरोहित जी खाते हैं लेकिन रसगुल्ले की जड़ का उनको पता ही नही है।
सम्राट तेनाली की और देखते हुए बोले – हम सुल्तान अजीज़ के आगे अपनी बेइज़्ज़ती नही करवाना चाहते। तुम अभी रसगुल्लों की जड़ लेकर आओ और सुल्तान अजीज़ के पास भेजो।
तेनाली ने एक चाकू और प्लेट लिया और बोला अभी लाया रसगुल्ले की जड़। यह कह कर वो बाहर चला गया। सारे दरबारी सोचने लगे की तेनाली क्या करने वाला है?
सब तेनाली का इंतेज़ार कर रहे थे। कुछ देर बाद प्लेट लेकर तेनाली आया, सबने देखा की प्लेट पर एक कपड़ा ढका हुआ था। दरबारी कुछ पूछते इससे पहले ही वो बोला – महाराज मैं रसगुल्लों की जड़ लेआया हूँ, मेहमान सुल्तान अजीज़ की सेवा में भेज दी जाए।
तेनाली की इस बात से सारे दरबारी हैरानी में पड़ गये, सभी देखना चाहते थे की आख़िर रसगुल्लों की जड़ होती कैसी है। लेकिन तेनालीराम प्लेट से कपड़ा उठाने को तैयार ही नही था। उसका कहना था – पहले मेहमान और बाद में कोई ओर।
सुल्तान अजीज़ राजा का मेहमान था इसलिए मंत्री खुद उसे लेने गया। सुल्तान अजीज़ आया तो सम्राट ने उसे अपने पास बैठा कर एक सेवक को इशारा किया। सेवक ने तेनालीराम के हाथों से प्लेट ली और सुल्तान अजीज़ के आगे रख दी। सुल्तान अजीज़ ने सम्राट से पूछा कि ये क्या है? सम्राट बोले ये रसगुल्लों की जड़ है। सुल्तान अजीज़ बहुत खुश हुआ। उसने प्लेट का कपड़ा उठाया और प्लेट में रखी चीज़ को चखते हुए बोला – अरे वाह, हिन्दुस्तान में ये एक एसी चीज़ है जो ईरान में होती ही नही है।
सभी दरबारी बड़े हैरान होकर देख रहे थे। प्लेट में गन्ने के छोटे छोटे टुकड़े रखे हुए थे। क्योंकि गन्ने से चीनी बनाई जाती है और चीनी से रसगुल्ले बनते हैं। इस बात से सभी दरबारी बहुत प्रभावित हुए और सुल्तान अजीज़ भी बहुत खुश हो गया। उसने तेनालीराम को ईरान का बहुत महँगा कालीन भेंट किया।
Very interesting and fun story bro!