एक राजा था, उसका खज़ाना धन दौलत से भरा हुआ था मगर फिर भी उसका दिल करता था कि उसके पास और भी ज्यादा धन दौलत हो। राजा को शिकार करने का भी बहुत शौक था।
एक दिन राजा अपने सिपाहियों को साथ लेकर जंगल में शिकार करने गया। जंगल बहुत बड़ा था। शिकार करते करते राजा जंगल में बहुत अंदर चला गया। वहाँ उसने एक हिरन देखा। राजा ने अपने घोड़े को हिरन के पीछे दौड़ाया । राजा हिरन का शिकार करना चाहता था। हिरन के पीछे पीछे राजा बहुत दूर निकल गया लेकिन हिरन उसके हाथ नहीं लगा।
कुछ देर बाद राजा रास्ता भटक गया। वो अपने सिपाहियों से भी बिछड़ गया और जंगल में अकेला रह गया। रास्ता ढूंढते ढूंढते रात हो गई। राजा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वो किधर जाए। जंगल में यहाँ-वहाँ भटकते हुए राजा को एक झोपड़ी दिखाई दी। राजा बहुत प्यासा था और उसको बहुत भूख भी लगी थी। वो उस झोपडी की ओर चला, पास जाकर राजा ने देखा की वहाँ एक छोटा सा गाँव था। राजा ने गाँव के किनारे की सबसे पहली झोपड़ी का दरवाजा खटखटाया। अंदर से आवाज आई – “कौन है?” राजा बोला “मैं एक यात्री हूँ और मैं रास्ता भटक गया हूँ, मुझे आज रात के लिए आश्रय चाहिए।” झोपड़ी के अंदर से एक गरीब आदमी बाहर निकला। वो झोपड़ी एक गरीब किसान की थी। किसान की पत्नी ने राजा का स्वागत किया, उसने सोचा की यह कोई रस्ते से भटका हुआ यात्री है और सिर्फ रात बिताने के लिए यहाँ पर रुकना चाहता है। किसान की पत्नी ने राजा को बहुत अच्छे तरीके से ठहराया और खाना खिलाया। किसान और उसकी पत्नी का इतना अच्छा व्यवहार देख कर राजा उनसे बहुत खुश हुआ।
अगले दिन राजा जाने के लिए तैयार हुआ। उसने कहा कि मैं एक राजमहल में काम करने वाला कर्मचारी हूँ। अगर तुम्हे महल में कोई भी काम हो तो ये कागज़ लेलो, इसे जब भी तुम महल में दिखाओगे तो इस कागज़ को देख कर सिपाही तुम्हे राजा से मिलने देंगे और इस देश का राजा तुम्हारी जरूर सहायता करेगा। किसान ने सोचा कि यह जरूर राजमहल में काम करने वाला कोई बड़ा कर्मचारी है। किसान ने कहा “मेरे पास भगवान का दिया बहुत कुछ है, मुझे इस से ज्यादा कुछ नहीं चाहिये।” लेकिन राजा ने फिर भी कहा कि कभी भी तुम्हे जरूरत हो तो तुम राजमहल में जरूर आना।
कुछ सालों के बाद उस गाँव में सूखा पड़ गया, अकाल छा गया और बारिश ना होने के कारण सभी किसानों की फसल सूख गई। किसान भूख प्यास से मरने लगे। संकट के इन दिनों में राजा ने किसानों की कोई मदद नही की। एक दिन बहुत अधिक परेशान हो कर किसान की पत्नी ने किसान को वो कागज़ देकर कहा कि राजा के पास जाओ और कुछ मदद मांगो। किसान जाना नही चाहता था लेकिन गाँव के और लोगों ने भी कहा कि तुम्हे जाना चाहिए और अपने गाँव के लोगों के लिए राजा से मदद मांगनी चाहिए। सब के कहने पर किसान मान गया और राजा के महल पर पहुंचा। महल के बाहर सिपाहियों को किसान ने वो कागज दिखाया, उस कागज़ को देखते ही सिपाहियों ने कहा “आओ भाई आओ आप अंदर आओ”। सिपाहियों ने एकदम से किसान को राजमहल में भेज दिया।
किसान राजमहल के अंदर गया। उस समय राजा राजमहल के मंदिर में था, राजा के सिपाही किसान को वहीं ले गए। मंदिर में किसान ने देखा की राजा झुक कर भगवान् की मूर्ति के आगे पूजा कर रहा था। किसान बड़ा हैरान हुआ की यह तो वही आदमी है जो उसकी झोपडी में एक रात के लिए ठहरा था। किसान सोच रहा था कि अरे ये तो सचमुच राजा ही मेरी झोपडी में आकर ठहरे थे। किसान को तब और भी ज्यादा हैरानी हुई जब उसने देखा कि राजा भगवान् से गिड़गिड़ा कर धन और दौलत की भीख मांग रहा था। राजा भगवान से और भी ज्यादा धन दौलत मांग रहा था। किसान तो वहाँ रुका ही नहीं और एकदम से वापिस लौट गया। राजा प्रार्थना में व्यस्त था। राजा के सिपाहियों ने किसान को रोकने की कोशिश की लेकिन वो नहीं रुका।
राजा को बाद में पता लगा कि वही किसान महल में आया था जिसके घर राजा रात में रुक था लेकिन वो राजा से मिले बिना ही वापिस चला गया। राजा इस बात से बहुत दुखी हुआ और तुरंत रथ में बैठकर किसान के गांव की ओर चल पड़ा। आधे रस्ते में ही राजा को किसान जाता हुआ मिल गया। राजा ने किसान को रोक कर पूछा कि भाई तुम महल से इस तरह मुझ से मिले बिना ही वापिस क्यों लौट आये? किसान ने कहा “महाराज मेरे गांव में अकाल पड़ा हुआ है, गांव के लोग भूखे मर रहे हैं। मैं तो आपसे अपने गांव के लिए मदद मांगने आया था लेकिन मैंने देखा कि आप तो भगवान से और भी धन दौलत मांगने के लिए प्रार्थना कर रहे थे, आप तो खुद भगवान से धन की भीख मांग रहे थे। मैंने सोचा आप तो खुद बहुत बड़े भिखारी हैं, आप मुझे क्या देंगे” यह सुन कर राजा बहुत शर्मिंदा हुआ। राजा को यह भी अहसास हुआ कि वो कितना लालची है, उसकी प्रजा अकाल और भूख से मर रही है और वो उनकी सहायता करने के बजाय भगवान से और भी धन दौलत मांग रहा है। उसने किसान से माफ़ी मांगी और कहा की मैं तुम्हारे गांव के लोगों की सहायता करूँगा और भगवान् से भी धन दौलत मांगने के बजाय अपनी प्रजा के लिए सुख और समृद्धि की प्रार्थना करूँगा।