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Chandu aur laalachi chacha

चंदू और लालची चाचा – Chandu aur lalachi chacha ki kahani

चंदू अपने गाँव का एक गरीब और बहुत समझदार लड़का था। वह अपनी मां के साथ गाँव के बाहर ही एक टूटी फूटी झोपड़ी में रहता था। चंदू के सात चाचा थे और वो सातों ही बहुत अमीर थे लेकिन चंदू से बिल्कुल प्यार नही करते थे। चंदू जब बहुत छोटा सा था तभी उसके पिता जी का एक दुर्घटना में स्वर्गवास हो गया था। चंदू के पिताजी की मौत के बाद ही उसके सातों चाचाओं ने मिलकर उसकी मां को घर से बाहर निकाल दिया था। चंदू बेचारा बचपन से ही मेहनत मजदूरी करते करते बड़ा हुआ और फिर बड़ा होकर जमींदार के खेतों में काम करने लगा। चंदू के चाचा अमीर तो थे लेकिन वो सातों एक से बढ़कर एक मूर्ख थे और चंदू पर खूब रौब झाड़ते, जब तब चंदू के घर जाकर उसे परेशान भी करते थे।

एक बार चंदू ने सोचा कि क्यों न इन चाचाओं को सबक सिखाया जाए और इनके धन दौलत का फायदा उठाया जाए। अगर मूर्ख के घर में धन हो तो बुद्धिमान क्यों भूखा मरे। यह सोच कर चंदू ने मन ही मन में एक तरकीब बनाई। अपनी बनाई तरकीब के अनुसार चंदू ने अपने चाचाओं की दावत कर दी। दावत का न्योता मिलते ही लालची चाचा बड़े खुश हो गए। दावत में बताए गए समय पर सातों चाचा चंदू के घर पहुंच गए लेकिन चंदू घर पर नही था। चाचाओं ने चंदू की मां से पूछा कि चंदू कहाँ है तो माँ ने घर के बाहर बंधे हुए गधे की रस्सी खोलते हुए गधे से कहा – “जा बेटा जा भैया को जल्दी खेत से बुलाकर ला।” चाचा यह देख कर हैरान रह गए कि एक गधा भी इस तरह बात सुनता है। चंदू असल में वहीं गली के बाहर खड़ा था, यह सब उसकी योजना थी। जैसे ही उसने गधे को आते हुए देखा तो वो गधे को रोक कर, उस पर बैठ कर घर वापस आ गया। चाचाओं ने जब चंदू को वापस आते हुए देखा तो वो और भी ज्यादा हैरान रह गए। उन्होंने चंदू से कहा की बेटा यह गधा तू हमें बेच दे। चंदू बोला – “नही नही चाचा, यह गधा मेरा बहुत काम करता है, मैं इसे बिल्कुल नहीं बेचूंगा।” चाचा बोले की बेटा तू हम से 100 सोने की अशर्फियां लेले तब बेच दे। लेकिन चंदू बोला – “ना चाचा ना, मैं तो 500 अशर्फियों से कम में यह गधा नही बेचूंगा।” इस तरह चंदू ने अपने चाचाओं को 500 सोने की अशर्फियों में गधा बेच दिया। गधा लेकर चाचा खुशी के मारे दावत भी भूल गए और बिना खाना खाए ही गधा लेकर अपने घर चले गए।

घर जाते ही बड़े चाचा ने गधे से कहा – “जा बेटा जा खेत से किसी नौकर को बुलाकर ला।” ऐसा कहकर बड़े चाचा ने गधे को खेतों की ओर हाँक दिया। गधा तुरंत वहाँ से भाग गया और खूब दूर तक भागता ही गया। काफी देर तक गधा लौट कर नही आया तो चाचा उसे ढूंढने निकले लेकिन गधा उन्हें कहीं नही मिला क्योंकि वो तो भाग ही गया था।

उधर चंदू घर पर अपने चाचाओं का इन्तेजार कर रहा था, उसे पता था कि चाचा उसे ढूंढते हुए घर जरूर आएंगे क्योंकि उसने उन्हें बुद्धू बनाया है। लेकिन समझदार चंदू लालची चाचाओं से निपटने के लिए पहले से ही एक और तरकीब बना चुका था। गुस्से में भरे चाचाओं को आता देखकर चंदू बेहोश होने का नाटक करने लगा और उसकी मां जोर जोर से रोने लगी। चाचा यह सब देखकर शांत हो गए। तभी चंदू की मां रसोई से एक लकड़ी निकाल कर लाई और चंदू को सुंघाने लगी। लकड़ी सूंघते ही चंदू उठकर खड़ा हो गया। चाचा तो थे ही लालची और बेवकूफ, उन्होंने सोचा कि यह जरूर कोई जादुई लकड़ी है, उनके मन में फिर लालच आ गया। उन्होंने चंदू की मां से पूछा की यह लकड़ी कैसी है? मां बोली – “यह हमारी जादुई लकड़ी है, बीमार तो बीमार इस लकड़ी से मरा हुआ आदमी भी ठीक हो सकता है। चाचाओं ने 100 अशर्फियों में वो लकड़ी भी खरीद ली। चाचा सोच रहे थे कि इस लकड़ी से लोगों का इलाज करके खूब पैसे कमाएंगे और बहुत अमीर हो जाएंगे।

चाचाओं को लकड़ी खरीदे एक हफ्ता बीत गया लेकिन घर में तो क्या आस पास भी कोई बीमार ही नही पड़ा। चाचा लकड़ी से इलाज करके पैसे कमाने के लिए बेचैन हुए जा रहे थे। जब काफी दिनों तक आसपास कोई बीमार नही पड़ा तो चाचाओं ने सोचा कि चलो अपने एक नौकर पर ही इस लकड़ी को आजमा लेते हैं। उन्होंने अपने एक नौकर के हाथ पैर बांधकर उसे खूब पीटा और पीट पीट कर बेहोश कर दिया। बेहोश होने के बाद वो उसे लकड़ी सुंघाने लगे। काफी देर तक लकड़ी सुंघाने के बाद भी नौकर को होश नही आया, आता भी कैसे चंदू की लकड़ी तो बस एक साधारण सी लकड़ी थी। उसमें कोई जादू वादू नही था। आधा घण्टा लकड़ी सुंघाने के बाद भी जब नौकर को होश नहीं आया तो चाचा लोग समझ गए कि लकड़ी में कोई जादू नही है और उन्हें उल्लू बनाया गया है। चाचा गुस्से में फिर आग बबूला हो गए और चंदू के घर पहुंच गए। उस समय चंदू घर पर अकेला ही था। उसे अकेला देखते ही चाचा लोगों ने उसकी अंधाधुंध पिटाई करनी शुरू कर दी। उन्होंने चंदू को भी इतना मारा की वो बेहोश हो गया। चाचा लोग बहुत गुस्से में थे, वो कहने लगे कि इस चंदू ने हमें दो बार बेवकूफ बनाया और हमारा बहुत नुकसान भी किया, इसे हम नदी में फेंक देंगे। बेहोश चंदू को एक बोरे में डालकर चाचा लोग नदी की ओर चल दिये।

नदी की ओर जाते जाते रास्ते में चाचाओं को भूख लगने लगी थी। थोड़ा और आगे उन्हें एक हलवाई की दुकान नजर आई, हलवाई गर्म गर्म जलेबी बना रहा था। एक पेड़ के नीचे बोरे को रखकर चाचा जलेबी खाने चले गए। तभी बड़े चाचा का नौकर हरिया वहाँ से जा रहा था। इतने में चंदू को होश आगया और उसने बोरे के एक छोटे से छेद में से हरिया को देख लिया। हरिया ने चंदू को कभी देखा तो नहीं था लेकिन चंदू को परेशान करने के नए नए तरीके वही चाचा को बताता था। चंदू ने फिर एक नई तरकीब बनाई, वो बोरे में से आवाज बदलकर बोला – “हरिया, ओ हरिया कहाँ जा रहे हो बेटा, मैं नदी का भूत हूँ। अगर तुम्हें बहुत सारा धन दौलत चाहिए तो मेरे पास आओ।” हरिया ने सोचा कि कोई उसके साथ मजाक कर रहा है लेकिन जब चारों ओर देखने पर उसे कोई दिखाई नहीं दिया तो उसे लगा कि यह सचमुच नदी का भूत ही बोल रहा है और मुझे धन दौलत देना चाहता है। चंदू फिर बोला – “बेटा पेड़ के नीचे पड़े बोरे की गाँठ खोलो और खोलते ही तुम आँखें बंद करके बोरे के अन्दर बैठ जाना, थोड़ी देर में ही तुम नदी में नीचे पहुंच जाओगे और वहाँ तुम्हे एक खजाना मिलेगा।” लालच में आकर हरिया ने ठीक ऐसा ही किया। जब हरिया ने बोरी का मुँह खोलके आँखें बंद करी तो चंदू चुपके से बोरी में से बाहर निकल गया और हरिया के बोरी के अंदर घुसते ही चंदू ने बोरी का मुँह बन्द कर दिया और पास के एक पेड़ के पीछे छिप गया। थोड़ी देर में चाचा वापस आए और बोरी को उठाकर नदी में फैंक आए। खजाने के लालच में हरिया बिल्कुल भी चिल्लाया नही, उसे लग रहा था कि नदी में नीचे पहुँचकर उसे बहुत धन दौलत मिलने वाला है।

कुछ दिनों के बाद चाचाओं ने सोचा कि चंदू तो मर ही गया चलो चंदू की मां की खैर खबर मालूम की जाए। जब वो चंदू के घर पहुँचे तो बड़े हैरान हुए, उन्होंने देखा कि चंदू तो घर पर बैठा हुआ बड़े मजे से खाना खा रहा था। चाचाओं को देखकर चंदू बोला -“अरे चाचा क्या हुआ इतने हैरान क्यों हो रहे हो, आप लोगों ने जब मुझे नदी में फैंका तो नदी के भूत ने मुझे नदी के अंदर ही पकड़ लिया और उसने मुझे ढेर सारा धन दिया। भूत ने मुझसे कहा कि अगर और धन की जरूरत हो तो फिर मेरे पास आजाना।” यह बात सुनकर चाचाओं के मुंह में पानी आगया और वो चंदू के आगे हाथ जोड़कर बोले कि बेटा हमें भी वो धन दिला दे। चंदू बोला ठीक है चाचा मैं आप सातों को धन दिला देता हूँ, उसने सात बोरे लिए और सातों चाचाओं को बोरे में बंद किया, चाचाओं से वो बोला कि अब नदी में तुम्हे वो भूत मिलेगा जो तुम्हे खूब सारा धन दौलत देगा। फिर उसने सातों चाचाओं को नदी में फैंक दिया। इस प्रकार चंदू को अपने बुरे और लालची चाचाओं से छुटकारा भी मिल गया और उनका काफी सारा धन दौलत भी मिल गया।

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